नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक ब्राजील यात्रा और 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की पूरी जानकारी
- Digital Bookish
- Jul 7
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परिचय

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जुलाई 2025 को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा शुरू की है। यह लगभग छह दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ब्राजील की पहली द्विपक्षीय यात्रा है, जो भारत और ब्राजील के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के बीच आर्थिक, सामाजिक और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी। हालांकि, इस बार शिखर सम्मेलन में चीन, रूस और ईरान के नेताओं की अनुपस्थिति ने वैश्विक कूटनीति में कई सवाल खड़े किए हैं। इस लेख में हम इस यात्रा और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के महत्व, इसके उद्देश्यों, और वैश्विक मंच पर इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का महत्व
ब्रिक्स एक ऐसा मंच है जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है और वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में उनकी भूमिका को मजबूत करता है। यह संगठन 2009 में स्थापित हुआ था और तब से यह वैश्विक व्यापार, निवेश, और सतत विकास जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। 17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 में ब्राजील की मेजबानी में हो रहा है, और यह वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, डिजिटल अर्थव्यवस्था, और भू-राजनीतिक तनावों पर केंद्रित है।
इस शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत ने हाल के वर्षों में वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है। नरेंद्र मोदी की यह यात्रा न केवल ब्रिक्स के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए है, बल्कि भारत और ब्राजील के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने का भी अवसर प्रदान करती है।
नरेंद्र मोदी की ब्राजील यात्रा: ऐतिहासिक संदर्भ
यह यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 1968 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ब्राजील की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। भारत और ब्राजील के बीच संबंध हमेशा से मैत्रीपूर्ण रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों ने व्यापार, रक्षा, और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने की कोशिश की है। इस यात्रा के दौरान, पीएम मोदी ब्राजील के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, जिसमें व्यापार समझौतों, तकनीकी सहयोग, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
ब्राजील दक्षिण अमेरिका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है। दोनों देश कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा, और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। इस यात्रा के दौरान कई समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक और सामरिक संबंधों को और मजबूत करेंगे।
चीन, रूस, और ईरान की अनुपस्थिति: इसका क्या मतलब है?
17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि चीन, रूस, और ईरान के नेता इस बार शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे हैं। यह अनुपस्थिति कई सवाल खड़े करती है, खासकर उस समय जब वैश्विक भू-राजनीति में तनाव चरम पर है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह अनुपस्थिति इन देशों की आंतरिक चुनौतियों या वैश्विक कूटनीति में उनकी रणनीतिक प्राथमिकताओं का परिणाम हो सकती है।
चीन: चीन की अनुपस्थिति को कुछ लोग इसकी आर्थिक और कूटनीतिक रणनीति में बदलाव के रूप में देख रहे हैं। हाल के वर्षों में, चीन ने ब्रिक्स के माध्यम से अपनी वैश्विक प्रभावशीलता को बढ़ाने की कोशिश की है, लेकिन इस बार उसका ध्यान अन्य क्षेत्रीय मंचों पर हो सकता है।
रूस: रूस की अनुपस्थिति को यूक्रेन संकट और पश्चिमी देशों के साथ उसके तनावपूर्ण संबंधों से जोड़ा जा रहा है। रूस के लिए ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण मंच रहा है, लेकिन इस बार वह अपने घरेलू और क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान दे सकता है।
ईरान: ईरान, जो हाल ही में ब्रिक्स का पूर्ण सदस्य बना है, की अनुपस्थिति को मध्य पूर्व में चल रहे तनावों और उसकी आंतरिक राजनीति से जोड़ा जा सकता है।
इन देशों की अनुपस्थिति से भारत और ब्राजील को इस शिखर सम्मेलन में नेतृत्व करने का अवसर मिलेगा। यह भारत के लिए अपनी वैश्विक स्थिति को और मजबूत करने का एक मौका है।
शिखर सम्मेलन के प्रमुख एजेंडे
17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। इनमें शामिल हैं:
आर्थिक सहयोग: ब्रिक्स देश वैश्विक व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए समझौतों पर विचार करेंगे। न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के माध्यम से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए धन जुटाने पर जोर दिया जाएगा।
जलवायु परिवर्तन: पर्यावरण और सतत विकास इस शिखर सम्मेलन के प्रमुख एजेंडे में से एक हैं। भारत और ब्राजील दोनों ही नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
डिजिटल अर्थव्यवस्था: डिजिटल तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी। भारत, जो डिजिटल अर्थव्यवस्था में अग्रणी है, इस क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान कर सकता है।
वैश्विक शांति और सुरक्षा: भू-राजनीतिक तनावों के बीच, ब्रिक्स देश वैश्विक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियों पर विचार करेंगे।
भारत की भूमिका और अपेक्षाएं
भारत ने हाल के वर्षों में ब्रिक्स के माध्यम से अपनी वैश्विक स्थिति को मजबूत किया है। पीएम मोदी इस शिखर सम्मेलन में भारत की “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” पहल को बढ़ावा देंगे। इसके अलावा, भारत वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के हितों का प्रतिनिधित्व करने की कोशिश करेगा। भारत ने पहले भी ब्रिक्स मंच का उपयोग जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, और डिजिटल नवाचार जैसे मुद्दों पर अपनी आवाज उठाने के लिए किया है।
इस यात्रा के दौरान, पीएम मोदी ब्राजील के व्यापारिक नेताओं और भारतीय प्रवासियों से भी मुलाकात करेंगे। यह मुलाकातें दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेंगी।
भारत-ब्राजील संबंधों का भविष्य
यह यात्रा भारत और ब्राजील के बीच संबंधों के लिए एक नया अध्याय शुरू कर सकती है। दोनों देशों के बीच पहले से ही कृषि, रक्षा, और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग है। इस यात्रा के बाद, दोनों देश निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा सकते हैं:
कृषि और खाद्य सुरक्षा: ब्राजील और भारत दोनों ही कृषि-आधारित अर्थव्यवस्थाएं हैं। दोनों देश खाद्य प्रसंस्करण और जैविक खेती में सहयोग बढ़ा सकते हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा: सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भारत और ब्राजील के बीच तकनीकी आदान-प्रदान हो सकता है।
रक्षा सहयोग: रक्षा उपकरणों और सैन्य प्रशिक्षण में सहयोग को और गहरा किया जा सकता है।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान: बॉलीवुड और ब्राजील की सांस्कृतिक परंपराओं के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए नए कार्यक्रम शुरू किए जा सकते हैं।
निष्कर्ष
नरेंद्र मोदी की ब्राजील यात्रा और 17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। इस शिखर सम्मेलन में भारत के पास अपनी कूटनीतिक और आर्थिक शक्ति को प्रदर्शित करने का एक सुनहरा अवसर है। चीन, रूस, और ईरान की अनुपस्थिति भले ही चर्चा का विषय हो, लेकिन यह भारत और ब्राजील के लिए नेतृत्व करने का मौका देता है। यह यात्रा न केवल ब्रिक्स के उद्देश्यों को आगे बढ़ाएगी, बल्कि भारत और ब्राजील के बीच द्विपक्षीय संबंधों को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।
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