Zepto की डार्क किचन का काला सच: 10 मिनट में डिलीवरी के पीछे की अनदेखी सच्चाई
- Digital Bookish
- Jun 30
- 3 min read

🍴 Zepto की डार्क किचन का पर्दाफाश: तेज़ डिलीवरी के पीछे छिपा कारोबार
Zepto, जो 10 मिनट में डिलीवरी का वादा कर आज भारत के प्रमुख क्विक-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स में शुमार हो चुका है, अब एक नई और विवादास्पद वजह से सुर्खियों में है—उसकी 'डार्क किचन' संचालन प्रणाली।
जहाँ एक ओर यह प्लेटफॉर्म सुविधाजनक और तेज़ डिलीवरी के लिए सराहा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसके डार्क किचन मॉडल को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। ये सवाल केवल गुणवत्ता और नियमों से जुड़े नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, पारदर्शिता, श्रमिकों की स्थिति और उपभोक्ता संरक्षण जैसे गंभीर पहलुओं से भी संबंधित हैं।
🏢 Zepto का क्विक-कॉमर्स मॉडल क्या है?
Zepto एक ऑनलाइन डिलीवरी स्टार्टअप है जो सब्ज़ियाँ, ग्रॉसरी, स्नैक्स और अब तैयार भोजन (ready-to-eat meals) भी 10 मिनट में डिलीवर करने का दावा करता है।
इसके संचालन का आधार:
माइक्रो वेयरहाउस / डार्क स्टोर
डार्क किचन (जहाँ खाना बनता है पर ग्राहक को देखने की इजाज़त नहीं)
डेटा-ड्रिवन डिमांड एनालिसिस और लोकेशन आधारित फुलफिलमेंट
🍲 डार्क किचन क्या होता है?
Dark Kitchen, जिसे Cloud Kitchen या Ghost Kitchen भी कहा जाता है, एक ऐसा किचन होता है जहाँ सिर्फ ऑनलाइन ऑर्डर के लिए खाना बनता है।
इसकी विशेषताएं:
न कोई डाइन-इन सुविधा
कोई ग्राहक विज़िट की अनुमति नहीं
मल्टी-ब्रांड ऑपरेशन एक ही किचन से
लो-कॉस्ट लोकेशन (बेसमेंट, गोदाम, इंडस्ट्रियल एरिया)
🔍 Zepto की डार्क किचन प्रणाली में सामने आईं प्रमुख चिंताएं:
1. स्वच्छता और स्वास्थ्य मानकों की अनदेखी
कई रिपोर्ट्स और पूर्व कर्मचारियों के अनुसार, कुछ Zepto डार्क किचनों में स्वच्छता मानकों का पालन नहीं होता।
बिना बाल कवर, दस्ताने या यूनिफॉर्म के कुक काम करते पाए गए।
किचन में कीड़े और बदबू की शिकायतें भी सामने आईं।
2. FSSAI लाइसेंस और वैधता पर सवाल
. कुछ मामलों में डार्क किचन बिना FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) लाइसेंस के भी संचालित हो रहे हैं।
. ग्राहकों को यह पता भी नहीं होता कि खाना कहां से बनकर आ रहा है।
3. फूड ब्रांडिंग में भ्रम
एक ही किचन से 5-10 अलग-अलग नामों से ब्रांड चलाए जाते हैं – जैसे "Desi Zaika", "Momo Nation", "Healthy Bowl", आदि।
ग्राहक सोचता है कि वह किसी प्रतिष्ठित रेस्तरां से खाना मंगवा रहा है, लेकिन वह एक ही डार्क किचन में बन रहा होता है।
4. श्रमिकों की स्थिति
Zepto पार्टनर किचन में काम कर रहे कर्मचारियों को अक्सर अत्यधिक घंटे काम करना पड़ता है, वो भी बिना उचित सुरक्षा या स्वास्थ्य सुविधा के।
कई बार ESIC, PF जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं।
5. रेस्टॉरेंट इकोसिस्टम को नुकसान
छोटे रेस्तराँ जिनका फिज़िकल सेटअप है, उन्हें Zepto जैसे मॉडल से प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो रहा है।
ग्राहकों को भ्रम होता है कि यह ‘सच्चा रेस्तराँ’ है, जबकि वह एक "खुला गोदाम" हो सकता है।
📊 उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया:
अभिषेक (मुंबई): "मैंने Healthy Kitchen से मील बाउल मंगाया, बाद में पता चला वो Zepto के गोदाम से बना था।"
नीरा (बेंगलुरु): "खाने में बाल मिला, और फिर देखा कि वो ब्रांड एक डार्क किचन था जो 5 और ब्रांड चला रहा था।"
🧾 नियामक संस्थाओं की भूमिका
FSSAI और नगर निगमों को अब ऐसे डार्क किचनों की जांच और निगरानी को लेकर कठोर कदम उठाने की ज़रूरत है।
डिलीवरी ऐप्स को भी पारदर्शिता बढ़ानी होगी, ताकि ग्राहक को स्पष्ट रूप से पता चले:
खाना किस जगह से बनकर आ रहा है?
उस किचन का लाइसेंस वैध है या नहीं?
वहाँ कौन सी ब्रांडें चल रही हैं?
✅ ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
ऑर्डर करते समय ब्रांड और रेटिंग्स जरूर देखें।
ऐप पर किचन की लोकेशन और नाम जाँचें।
शिकायत होने पर FSSAI, उपभोक्ता फोरम या ऐप के कस्टमर केयर से संपर्क करें।
ज़रूरत से ज़्यादा डिस्काउंट और फैंसी ब्रांड नामों से सावधान रहें।
🌐 डिजिटल फूड इंडस्ट्री में ज़िम्मेदारी की ज़रूरत
Zepto जैसी कंपनियों ने सुविधा तो दी है, लेकिन तेज़ी और सस्तेपन के नाम पर अगर गुणवत्ता, पारदर्शिता और श्रमिक
अधिकारों से समझौता हो रहा है, तो यह खतरे की घंटी है।
सरकार, ग्राहक और कंपनियों—सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी:
सरकार: नियम सख्त करे और निगरानी मजबूत बनाए।
कंपनियाँ: ग्राहकों से पारदर्शिता रखें, श्रमिकों को सम्मान दें।
ग्राहक: सजग और जागरूक होकर ऑर्डर करें।
🧠 निष्कर्ष:/
Zepto की डार्क किचन प्रणाली आज भारतीय खाद्य डिलीवरी प्रणाली के उस अंधेरे कोने की याद दिलाती है, जिसे हमने ‘सुविधा’ के नाम पर नजरअंदाज कर दिया। यह समय है जब उपभोक्ता, कंपनियाँ और सरकार मूल्य, गुणवत्ता और पारदर्शिता को प्राथमिकता दें।
10 मिनट की डिलीवरी जितनी तेज हो, उतनी ही तेज़ होनी चाहिए हमारी सजगता।
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